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Showing posts from October, 2019

मंगल दोष कारण और निवारण

जिस जातक की जन्म कुंडली, लग्न/चंद्र कुंडली आदि में मंगल ग्रह, लग्न से लग्न में (प्रथम), चतुर्थ, सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भावों में से कहीं भी स्थित हो, तो उसे मांगलिक कहते हैं। गोलिया मंगल ‘पगड़ी मंगल’ तथा चुनड़ी मंगल : जिस जातक की जन्म कुंडली में 1, 4, 7, 8, 12वें भाव में कहीं पर भी मंगल स्थित हो उसके साथ शनि, सूर्य, राहु पाप ग्रह बैठे हों तो व पुरुष गोलिया मंगल, स्त्री जातक चुनड़ी मंगल हो जाती है अर्थात द्विगुणी मंगली इसी को माना जाता है। मांगलिक कुंडली का मिलान : वर, कन्या दोनों की कुंडली ही मांगलिक हों तो विवाह शुभ और दाम्पत्य जीवन आनंदमय रहता है। एक सादी एवं एक कुंडली मांगलिक नहीं होना चाहिए। मंगल-दोष निवारण : 1 . जन्मकुण्डली के प्रथम , द्वितीय , चतुर्थ , सप्तम, अष्टम , एकादश तथा द्वादश इनमें से किसी भी भाव में मंगल बैठा हो तो वह वर वधू का विघटन कराता है परन्तु इन भावों में बैठा हुआ मंगल यदि स्वक्षेत्री हो तो दोषकारक नहीं होता। 2 .यदि जन्मकुण्डली के प्रथम भाव (लग्न) में मंगल मेष  राशि का हो , द्वादश भाव में धनु राशि का हो, चतुर्थ भाव में वृश्चिक  राशि का हो, सप्तम भाव में

शकुन शास्त्र

   शकुन शास्त्र के 12 सूत्र जो हर व्यक्ति  पर बहुत ही ज्यादा प्रभावी होते है आइये इसको ज्योतिष उपाय ग्रुप में जाने ये सूत्र कौन से है?- 〰〰🌼〰〰🌼〰〰 घर में हर छोटी वस्तु का अपना महत्व होता है। कभी-कभी बेकार समझी जाने वाली वस्तु भी घर में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर देती है। गृहस्थी में रोजाना काम में आने वाली चीजों से भी शकुन-अपशकुन जुड़े होते हैं, जो जीवन में कई महत्वपूर्ण मोड़ लाते हैं। शकुन शुभ फल देते हैं, वहीं अपशकुन इंसान को आने वाले संकटों से सावधान करते हैं। आज ज्योतिष उपाय ग्रुप में मैं पं.मणि कान्त पाण्डेय ज्योतिषाचार्य इलाहाबाद आपको घर से जुड़ी वस्तुओं के शकुनों के बारे में बता रहे हैं। *1-दूध का शकुन* 〰〰〰〰〰 सुबह-सुबह दूध को देखना शुभ कहा जाता है। दूध का उबलकर गिरना शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-शांति, संपत्ति, मान व वैभव की उन्नति होती है। दूध का बिखर जाना अपशकुन मानते हैं, जो किसी दुर्घटना का संकेत है। दूध को जान-बूझकर छलकाना अपशकुन माना जाता है , जो घर में कलह का कारण है। *2-दर्पण का शकुन* *~~~~~~~~~~~~~~~~~`~~* हर घर में दर्पण का बहुत महत्व है। दर्पण से जुड़े कई

मास, अयन, ऋतु, योग, करण, तिथि, नक्षत्र, राशि एवं विशिष्ट योग ज्ञान-

मास, अयन, ऋतु, योग, करण, तिथि, नक्षत्र, राशि एवं विशिष्ट योग ज्ञान- 1) मास 2)  अयन 3)  ऋतु 4)  योग 5)  करण 6)  तिथि 7)  नक्षत्र 8)  राशि 9)  विशिष्ट योग 1) मास ज्ञान शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से कृष्ण पक्ष की अमावस्या की समयावधि को चन्द्रमास तथा संक्रांति से दूसरी संक्रांति तक की अवधि को सौरमास कहा जाता है,तीस दिन की समयावधि को सावन मास तथा चद्रमा के अश्विनी आदि नक्षत्र चक्र के भ्रमण काल को नक्षत्रमास कहा जाता है। विशेष एक वर्ष में बारह महीने होते है जिनके नाम क्रमश: इस प्रकार है:- चैत्र बैसाख ज्येष्ठ आशाढ श्रावण भाद्रपद अश्विन कार्तिक मार्गशीर्ष पौष माघ फ़ाल्गुन. 2) अयन और 3) ऋतु ज्ञान शिशिर बसन्त तथा ग्रीष्म इन तीनो ऋत्यों में सूर्य उत्तरायण होते है,यह समय देवताओं का दिन होता है,वर्षा शरद और हेमन्त इन तीन ऋत्यों मे सूर्य दक्षिणायन होते है यह समय देवताओं की रात्रि होती है। सूर्य जब मकर तथा मुक्भ राशि मे संचरण करते है तब शिशिर ऋतु होती है,मीन और मेष के सूर्य मे बसन्त ऋतु वृष तथा मिथुन के सूर्य में ग्रीष्म ऋतु कर्क तथा सिंह के सूर्य में वर्षा ऋतु कन्या तथा उला के सूर