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Showing posts from March, 2021

मुहूर्त: पंचांग शुभ मुहूर्त

 मुहूर्त: पंचांग शुभ मुहूर्त मुहूर्त काल अर्थात समय के ज्ञान की इकाई है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से शुभ कार्यों को करने के लिए किया जाता है। हिंदू वैदिक ज्योतिष विज्ञान के अनुसार हर शुभ और मंगल कार्य को आरंभ करने का एक निश्चित समय होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उस विशेष समय में ग्रह और नक्षत्र के प्रभाव से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है। कालः शुभ क्रियायोग्यो मुहूर्त इति कथ्यते। - मुहूर्तदर्शन, विद्यामाधवीय (१/२०) अर्थात ऐसा काल या समय जो शुभ क्रियाओं अर्थात शुभ कार्यों के योग्य हो, मुहूर्त कहलाता है। इसी को हम शुभ मुहूर्त, उत्तम मुहूर्त अथवा शुभ समय भी कहते हैं। ज्योतिष के द्वारा काल ज्ञान होता है और प्राचीन काल से सभी शुभ कार्यों के लिए हमारे महान ऋषियों ने शुभ समय का विचार किया। समय सबसे शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि इसका प्रभाव सभी पदार्थों पर पड़ता है चाहे वह जड़ हो अथवा चेतन, इसलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने व्यक्ति के गर्भ से मृत्यु उपरांत 16 संस्कारों तथा अन्य सभी मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त ज्ञान को आवश्यक बताया है। मुहूर्त शास्त्र फलित ज्योतिष का ही एक

सर्वार्थ सिद्धि योग

 सर्वार्थ सिद्धि योग सर्वार्थ सिद्धि योग अत्यंत शुभ योग माना जाता है। यह तीन शब्दों से मिलकर बना है। सर्वार्थ यानि सभी, सिद्धि यानि लाभ व प्राप्ति एवं योग से तात्पर्य संयोजन, अत: हर प्रकार से लाभ की प्राप्ति को ही सर्वार्थ सिद्धि योग कहा गया है। यह एक शुभ योग है इसलिए इस योग में संपन्न होने वाले कार्यों से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सर्वार्थ सिद्धि योग एक निश्चित वार और निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनता है। यह योग शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए विशेष फलदायी होता है और समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। वार और नक्षत्र के ये संयोग हमेशा निर्धारित रहते हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग सभी शुभ कार्यों के शुभारंभ के लिए उपयुक्त समय होता है। नक्षत्र और वार के संयोग जिनमें सर्वार्थ सिद्धि योग निर्मित होते हैं: 1.  रविवार- अश्विनी, हस्त, पुष्य, मूल, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपद 2.  सोमवार- श्रवण, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा 3.  मंगलवार- अश्विनी, उत्तरा भाद्रपद, कृतिका, अश्लेषा 4.  बुधवार- रोहिणी, अनुराधा, हस्त, कृतिका, मृगशिरा 5.  गुरुवार- रेवती, अनुराधा, अश्विनी, पुनर्वसु, पुष

वाहन योग

         वाहन योग हिन्दू धर्म में शुभ कार्यों की शुरुआत सदैव मुहूर्त देखकर की जाती है। विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन समेत वाहनों को खरीदने के लिए हिन्दू पंचांग में विशेष तिथि, नक्षत्र और लग्न निर्धारित किये गये हैं। वाहन खरीदने का शुभ मुहूर्त देखकर खरीदे गये वाहनों से घर में सुख-शांति आती है और दुर्घटनाओं का भय कम होता है। कार, बाइक, ट्रक और अन्य सभी तरह के कमर्शियल और नॉन कमर्शियल वाहनों की खरीद के लिए मुहूर्त होते हैं। इनमें वार, तिथि और नक्षत्रों का विशेष महत्व होता है। वाहन खरीदने के मुहूर्त में तिथि, नक्षत्र, लग्न और वार विचार चर नक्षत्र- कार और अन्य वाहनों को खरीदने के लिए पुनर्वसु, स्वाति, श्रवण,धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र विशेष रूप से शुभ माने गये हैं क्योंकि इन्हें चर नक्षत्र कहा जाता है। इसके अलावा अन्य नक्षत्र भी उत्तम माने जाते हैं, साथ ही ये नक्षत्र पहली बार वाहन चलाने के लिए शुभ कहे गये हैं। शुभ दिन- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और रविवार वाहन खरीदने के लिए शुभ दिन माने जाते हैं। हालांकि इनमें शुक्रवार को सबसे अच्छा बताया गया है। शुभ तिथि- समस्त प्रकार के वाहनों को खरीदने क

संतान प्राप्ति हेतु-

संतान गोपाल के मंत्र का जाप 108 बार प्रतिदिन माता और पिता दोनों करें-   ॐ देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वाम् अहम् शरणं गतः।               पुत्र प्राप्ति हेतु-         श्री कृष्ण जी के समक्ष 108 बार जाप-  परम् ब्रह्म परमात्मने ...... (नाम/ मम)...... गर्भे  दीर्घ जीवी सुत कुरु कुरु स्वाहा।।