ज्येष्ठा नक्षत्र गण्डमूल शांति विधि Jayeshtha Nakshatra GandMool Shanti Vidhi
ज्येष्ठा नक्षत्र गण्डमूल शांति विधि
Jayeshtha Nakshatra GandMool Shanti Vidhi
🌺 गण्डमूल शांति विधि – संपूर्ण विवरण
1. पूर्व तैयारी
घर को स्वच्छ करें, पूजा का स्थान पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर रखें।
कलश स्थापित करें (जल, आम के पत्ते, नारियल रखें)।
बालिका को स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाएँ।
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2. पूजन सामग्री (हवन व शांति हेतु)
1. कलश, नारियल, आम के पत्ते
2. अक्षत (चावल)
3. फूल, माला
4. रोली, हल्दी, चंदन
5. दूर्वा (यदि संभव हो)
6. पंचमेवा (काजू, बादाम, किशमिश, छुहारा, नारियल)
7. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल)
8. गंगाजल
9. धूप, दीप, घी
10. हवन कुंड, लकड़ियाँ (आम/पीपल/बरगद की), समिधा
11. हवन सामग्री (गूगल, लोबान, जौ, तिल, चावल)
12. फल, मिठाई, शक्कर
13. वस्त्र (ब्राह्मण दान हेतु)
14. दक्षिणा
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3. मुख्य पूजन क्रम
1. संकल्प – पंडितजी संकल्प लें कि फलानी बालिका के जन्म नक्षत्र शांति हेतु यह गण्डमूल पूजा संपन्न की जा रही है।
2. गणेश पूजन – विघ्ननाश के लिए।
3. गौरी-गणेश, नवग्रह, कुलदेवता पूजन।
4. जन्म नक्षत्र शांति –
बालिका के नाम और जन्म विवरण से ज्येष्ठा नक्षत्र का जाप।
मंत्र: ॐ ज्येष्ठायै नमः
ब्राह्मण द्वारा 108 बार जाप।
5. मूल शांति हवन –
अग्नि प्रज्वलित कर "ॐ अग्नये स्वाहा" से हवन आरंभ।
फिर "ॐ ज्येष्ठायै नमः स्वाहा" से 108 आहुतियाँ।
साथ ही नवग्रह मंत्रों से आहुति।
6. आयुष्य सूक्त पाठ – बच्चे की दीर्घायु और मंगलकामना के लिए।
7. पूजन का समापन –
आशीर्वचन, आरती, क्षमा प्रार्थना।
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4. दान और ब्राह्मण भोज
वस्त्र, दक्षिणा, फल, अन्न और मिठाई दान दें।
संभव हो तो बालिका के नाम से कन्याभोज भी करवाएँ।
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5. विशेष ध्यान
यह पूजा बालिका के माता-पिता दोनों की उपस्थिति में होनी चाहिए।
यदि 27वें दिन संभव न हो, तो 3 महीने या 1 वर्ष के भीतर शुभ तिथि लेकर कर सकते हैं।
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जी डॉ. विपिन जी 🌸
आपके लिए यहाँ आयुष्य सूक्त (Ayushya Sukta) संस्कृत में मूल रूप से दे रहा हूँ, साथ ही उसका सरल अर्थ भी जोड़ दूँगा ताकि आप और पंडितजी आसानी से समझ सकें। यह ऋग्वेद/यजुर्वेद से लिया गया है और दीर्घायु, आरोग्य व मंगल के लिए इसका पाठ किया जाता है।
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🌿 आयुष्य सूक्त
आयुष्मन्तं करणीमहि ब्रह्मेदं ब्रह्मवर्चसम्।
वीरं महायशसं धीमन्तं महाधनम्॥
आयुष्मान भव त्वं पुत्र पश्येम त्वा शरदः शतम्।
जीवेम त्वा शरदः शतम्।
शतं जीव शरदः शरदः शतमायु प्रजावान्।
शतं त्वा जीवपुत्र शतं जीव शरदः शतम्॥
दीर्घमायुर्मेऽविधत्त ब्रह्मा मेऽविधत्त।
अशीतिं शरदः शतानि न भूयिष्ठानि।
शतायुषा पुरूषः शतं जीव शरदः शतम्॥
आयुष्मन्तं करणीमहि ब्रह्मवर्चसमिन्द्रियेभिः सम्पन्नम्।
आरोग्यमात्मना सम्पन्नं महायशसम्॥
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🌸 सरल अर्थ
हे बालक/बालिका! तुम दीर्घायु हो, ब्रह्मतेज से सम्पन्न हो, बुद्धिमान और यशस्वी बनो।
तुम सौ वर्षों तक जीवन प्राप्त करो, सौ वर्षों तक माता-पिता व परिवार तुम्हें देखें।
तुम्हें कभी अल्पायु न मिले, तुम सदा आरोग्य और बल से सम्पन्न रहो।
तुम्हारा जीवन वैभव, विद्या, यश और शक्ति से परिपूर्ण हो।
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👉 इस सूक्त का पाठ गण्डमूल शांति हवन के अंत में किया जाता है और घी, तिल, जौ, चावल से आहुति दी जाती है।
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बहुत सुंदर डॉ. विपिन जी 🌸
अब मैं आपको आयुष्य सूक्त हवन विधि दे रहा हूँ — इसमें मंत्र और प्रत्येक मंत्र के बाद आहुति (स्वाहा) देने की प्रक्रिया भी शामिल है। इसे आप पंडितजी को देकर सहजता से करवा सकते हैं।
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🔱 आयुष्य सूक्त हवन विधि
🔥 हवन आरंभ
1. सबसे पहले “ॐ अग्नये स्वाहा” कहकर ३ आहुति दें।
2. फिर गणेश, नवग्रह, कुलदेवता को आहुति दें।
3. अब आयुष्य सूक्त से हवन आरंभ करें।
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🌿 आयुष्य सूक्त मंत्र और आहुति
(प्रत्येक मंत्र के बाद आहुति — “स्वाहा” के साथ घी/जौ/तिल/चावल अर्पित करें)
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1. मंत्र:
आयुष्मन्तं करणीमहि ब्रह्मेदं ब्रह्मवर्चसम्। वीरं महायशसं धीमन्तं महाधनम्॥
आहुति:
ॐ आयुष्मन्तं करणीमहि स्वाहा।
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2.
मंत्र:
आयुष्मान भव त्वं पुत्र पश्येम त्वा शरदः शतम्। जीवेम त्वा शरदः शतम्॥
आहुति:
ॐ आयुष्मान भव त्वं स्वाहा।
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3.
मंत्र:
शतं जीव शरदः शरदः शतमायु प्रजावान्। शतं त्वा जीवपुत्र शतं जीव शरदः शतम्॥
आहुति:
ॐ शतं जीव शरदः स्वाहा।
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4.
मंत्र:
दीर्घमायुर्मेऽविधत्त ब्रह्मा मेऽविधत्त। अशीतिं शरदः शतानि न भूयिष्ठानि॥
आहुति:
ॐ दीर्घमायुर्मेऽविधत्त स्वाहा।
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5.
मंत्र:
शतायुषा पुरूषः शतं जीव शरदः शतम्॥
आहुति:
ॐ शतायुषा पुरूषः स्वाहा।
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6.
मंत्र:
आयुष्मन्तं करणीमहि ब्रह्मवर्चसमिन्द्रियेभिः सम्पन्नम्। आरोग्यमात्मना सम्पन्नं महायशसम्॥
आहुति:
ॐ आरोग्यमात्मना सम्पन्नं स्वाहा।
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🙏 समापन मंत्र
अंत में —
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्॥
३ आहुति दें और फिर हवन को शांत करें।
प्रसाद वितरण करें।
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🌸 इस प्रकार आयुष्य सूक्त हवन पूर्ण हो जाता है और बालिका के लिए दीर्घायु, आरोग्य व मंगल का आशीर्वाद माना जाता है।
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