विदेश गमन योग (Videsh Yog)

 

             विदेश गमन योग (Videsh Yog) 

कुंडली में चौथा और बाहरवें घर या उनके स्वामियों का संबंध यानी उस घर में स्थित राशि के स्वामी से विदेश में स्थायी रूप से रहने का सबसे बड़ा योग बनता है। इस योग के साथ चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव आवश्यक है। यानी उस घर में कोई भी पाप ग्रह स्थित हो या उसकी दृष्टि हो। इसके साथ ही कुंडली में अच्छी दशा होना भी अनिवार्य है। 



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सप्तम और बाहरवें भाव या उनके स्वामियों का परस्पर सम्बन्ध जातक को विवाह के बाद विदेश लेकर जाता है। अगर ये योग कुंडली में हो तो व्यक्ति किसी विदेशी मूल के व्यक्ति से शादी करने के बाद वीजा पाने में सफलता मिलती है।


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पंचम और बाहरवें भाव के साथ उनके स्वामियों का संबंध शिक्षा के लिए विदेश जाने का योग बनता है। इस योग में जातक पढ़ने के लिए विदेश जा सकता है।


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दसवें और बाहरवें भाव या उनके स्वामियों का संबंध व्यक्ति को विदेश से व्यापार या नौकरी के अवसर देता है।


4&9 by father help  

चतुर्थ और नवम भाव का संबंध जातक को पिता के व्यापार के कारण या पिता के धन की सहायता से विदेश ले जा सकता है।



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नवम और बाहरवें भाव का संबंध व्यक्ति को व्यापार या धार्मिक यात्रा के लिए विदेश ले जा सकता है। इस योग में जातक का पिता भी विदेश व्यापार या धार्मिक वृतियों से सम्बन्ध रखता है।





लग्नेश सप्तम भाव में हो तो भी जातक विदेश जा कर रह सकता है।



राहु और चन्द्रमा का योग किसी भी भाव में हो जातक को अपनी दशा में विदेश या जन्म स्थान से दूर ले कर जा सकता है।



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